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| White Tiger Mohan |
बिश्व का पहला सफ़ेद बाघ : मोहन
सबसे पहले सफ़ेद बाघ भारत के राज्य मध्य प्रदेश के रीवा जिला में पाया गया। उसका नाम मोहन था। मोहन जीवित रूप में पकड़ा जाने वाला पहला सफ़ेद बाघ था।
यह घटना 27 मई 1951 की है, जब महाराजा मार्तंड सिंह अपने शाही मेहमान जोधपुर के राजा अजित सिंह के साथ बाघिन का शिकार करने सिद्धि के पनखोरा गॉव के पास पहुँचे तो उनके आने से जंगल में हलचल मच गयी और तीन बाघ का शावक तेजी से भाग गए, लेकिन एक सफ़ेद रंग का अद्भुत शावक गुफा में ही छिप गया। महाराजा मार्तंड सिंह ने उसे मारा नहीं बल्कि उसे जीवित ही पकड़कर अपने साथ गोविंदगढ़ के किले में ले आए और उसका नाम 'मोहन' रखा। मोहन को राज महल में सभी राजा की तरह सम्मान देते थे। मोहन का ध्यान रखने वाले सेवक भी मोहन से बहुत प्यार करते थे। राज महल में सभी 'मोहन सिंह इधर आइए' जैसे सम्मानित भाषा का प्रयोग करते थे।
अकसर दोपहर में महाराजा मार्तंड सिंह फुटबॉल लेकर फुटबॉल खेलने मोहन के पास पहुँच जाते थे। कई बार ऐसे अवसर आए जब महाराजा ने मोहन के सिर पर हाथ फेरा।
महाराजा मार्तंड सिंह के किले से जन्मे बाघ शावक ब्रिटेन, अमेरिका और जापान तक भेजे गए थे। 19 साल की जीवनकाल में मोहन और बाघिन राधा के कुल 34 शावक हुए , जिनमें से 21 सफ़ेद रंग के थे। कहा जाता है की दुनियाँ में जितने भी सफ़ेद बाघ है, वे सभी मोहन के ही वंशज है।
देश में पहली बार जानवरों का बिमा सफ़ेद बाघ मोहन का हुआ था। भारतीय डाक विभाग और दूरसंचार विभाग ने साल 1987 में डाक टिकट जारी किया, जिस पर मोहन की फोटो लगाई गयी थी।
10 दिसंबर 1969 को मोहन का निधन हो गया। मोहन के निधन के दिन रीवा में राजकीय शोक घोषित किया गया और मोहन को बंदूकें झुकाकर सलामी भी दी गयी थी।
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